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अंकों की कहानी

गुणाकर मुले

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :91
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13710
आईएसबीएन :9788190271318

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"भारतीय अंक-पद्धति : शून्य से संसार तक की यात्रा"

प्राचीन काल में हमारा देश ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में संसार के किसी भी दूसरे सभ्‍य देश से पीछे नहीं था। मध्‍ययुग में अरब देशों ने और यूरोप के देशों ने भारतीय विज्ञान की बहुत-सी बातें सीखीं। लेकिन यदि पूछा जाए कि विज्ञान के क्षेत्र में संसार को भारत की सबसे बड़ी देन कौन-सी है, तो उत्‍तर होगा—आज की हमारी अंक-पद्धति।

आज की हमारी अंक-पद्धति में केवल दस संकेत हैं—शून्‍य और नौ अंक-संकेत। इन दस अंक-संकेतों से हम बड़ी-से-बड़ी संख्‍या लिख सकते हैं। इन दस अंक-संकेतों के अपने स्‍वतंत्र मान हैं। इसके अलावा, हर अंक-संकेत का, संख्‍या में उसके स्‍थान के अनुसार, मान बदलता है। स्‍थानमान और शून्‍य की यह धारणा ही इस अंक-पद्धति की विशेषता है।

हमें गर्व है कि इस वैज्ञानिक अंक-पद्धति की खोज भारत में हुई है। सारे संसार में आज इसी भारतीय अंक-पद्धति का इस्‍तेमाल होता है।

लेकिन यह अंक-पद्धति मुश्किल से दो हज़ार साल पुरानी है। उसके पहले हमारे देश में और संसार के अन्‍य देशों में भिन्‍न-भिन्‍न अंक-पद्धतियों का इस्‍तेमाल होता था। आज की इस वैज्ञानिक अंक-पद्धति के महत्‍त्‍व को समझने के लिए उन पुरानी अंक-पद्धतियों के बारे में भी जानना ज़रूरी है। इस पुस्‍तक में मैंने देश-विदेश की पुरानी अंक-पद्धतियों की जानकारी दी है। तदनन्‍तर, इस शून्‍य वाली नई अंक-पद्धति के आविष्‍कार की जानकारी। यह भारतीय अंक-पद्धति पहले अरब देशों में और बाद में यूरोप के देशों में कैसे फैली, इसका भी रोचक वर्णन इस पुस्‍तक में है।

निस्‍सन्‍देह, हिन्‍दी में यह अपनी तरह की पहली पुस्‍तक है जो विद्यार्थियों एवं सामान्‍य पाठकों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

क्रम
अंको की शक्ति       9
गणना का आरंभ       13
प्राचीन मिस्र के अंक       17
सुमेरी-बेबीलोनी अंक-पद्धति       22
चीन की अंक-पद्धति       26
मय सभ्यता की अंक-पद्धति       29
यूनानी अंक-पद्धति       33
रोमन अंक-पद्धति       38
भारतीय अंक-पद्धतियाँ       43
सिधु सभ्यता के अंक       45
वैदिक अंक-पद्धति       50
अशोक की ब्राहमी लिपि के अंक       54
खरोष्ठी अंक       58
बड़ी-बड़ी संख्याएँ       62
शून्य का आविष्कार       67
अक्षरांक       72
शब्दांक       78
अरब देशों में भारतीय अंक       80
यूरोप में भारतीय अंक       84
उपसंहार       90

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